About Uaipur_|_Me_Udaipur_Bol_Raha_Hu
दोस्तों आज आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे शहर के बारे में जिसे झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता हैं । एक बार जो यहां आता हैं, वो बार बार घूमने आना चाहता हैं। जिसकी ऐतिहासिकता और झीलें पहाड़ महल सब देखने के लिए लाखों लोग हर साल यहां आते हैं। तो आइये शुरू करते हैं इस ऐतिहासिक नगर की यात्रा।मैं ऐतिहासिक नगर उदयपुर हूं, मेरा जन्म आज से करीब 465 साल पहले हुआ था जब राणा उदय सिंह ने मुगलों और अकबर के आतंक से चित्तौड़ नगरी को छोड़कर मुझे बसाने का निर्णय लिया था।
मेरे निर्माण की शुरुआत में उदय सिंह जी महाराज ने उत्कृष्ट कारीगरों को शामिल करके प्लानिंग करके सबसे पहले फतेह सागर का निर्माण कराया जिसमें पानी की आवक मदार के तालाबों और पिछोला झील से होती है।
जब फतह सागर लबालब हो जाता है तो इसका पानी आहड़ नदी से होते हुए उदय सागर झील में चला जाता है ।
अगर आप किसी बाहरी शहर से मुझे देखने आ रहे हैं तो मैं अहमदाबाद से 267 किलोमीटर दूरी पर और दिल्ली से मुंबई रोड रूट में बीच में पड़ता हूं दिल्ली से मेरी दूरी लगभग 662 किलोमीटर है ।
शहर में प्रवेश से पहले आप हल्दी घाटी जाकर आप मेरे उन महान प्रतापी राजा महाराणा प्रताप को जरूर नमन करके आना जो उदयपुर शहर से मात्र 44 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत श्रृंखलाओं में बसते हैं ।
उसके पश्चात आप सिटी पैलेस घुमना जो मुझे बसाने वाले उदय सिंह जी ने बनवाया था आहड़ सभ्यता का म्यूजियम भी मुझ में बसता है जो आप देख सकते हैं ।
जगदीश मंदिर जरूर हो आना जिसका निर्माण सन 1651 में महाराणा जगत सिंह ने करवाया था मुझ में बसे जगदीश मंदिर के दीवारों पर बनी मूर्ति कला को देखकर आप उन कारीगर के हाथों के जादू से भी रूबरू हो जाएंगे ।
मुझ में चार चांद लगाने वाले लेक पैलेस पिछोला झील में मौजूद है परंतु उसे अब होटल का रूप दे दिया गया है । आप एक बार फतेह सागर जरूर हो आना क्योंकि जब भी मैं फतेह सागर की झील की ओर निहारता हूं, तो मुझे बड़ी प्रसन्नता मिलती है यहां पर मेरे महाराणा प्रताप जी के कदमों की चाप सुन लेता हूं ।
यही फतेह सागर झील के किनारे मोती मंगरी नामक पहाड़ी को प्रताप स्मारक के रूप में विकसित किया गया है आप यहां जरूर हो आना ।
सुखाड़िया सर्कल पर घूमने का और बोटिंग करने का आनंद लेते हुए बच्चों को देखकर खिलखिला उठता हूं । अगर आप कला और नृत्य संगीत प्रेमी हैं तो अवश्य शिल्प ग्राम होकर आना जहां पर कई राज्यों की अदम जनजातियों की संस्कृति आपको देखने को मिलेगी ।
फतह सागर झील के पीछे ऊंची पहाड़ी चोटी पर बसे सज्जनगढ़ किले को जरूर देखना जिसको महाराणा सज्जन सिंह और महाराणा फतेह सिंह ने बनवाया था मेरे गौरवमई इतिहास को जानने के लिए एक बार सज्जनगढ़ किले पर अवश्य आना जिसको मानसून पैलेस भी कहा जाता है ।
प्रताप गौरव केंद्र में मौजूद महाराणा प्रताप की सबसे बड़ी मूर्ति को भी निहारते हुए आना मुझे दिन रात प्रेरणा देती रहती है इसके अलावा आपको दिखाने के लिए मेरे पास और भी बहुत कुछ है राजकीय संग्रहालय इसमें पुरातत्व समय की वस्तुओं का संग्रह है ।
बागौर की हवेली जिसका निर्माण 1651 में महाराणा जगत सिंह ने करवाया था ।
गुलाब बाग में जाकर आप बच्चों के साथ टॉय ट्रेन के साथ सफर भी कर सकते हैं दूध तलाई के नाम से प्रसिद्ध एक तलाई है उसे जरूर देख कर आना इसकी भी एक अलग ही कहानी है वो कभी आपको सुनाऊंगा ।
चलते चलते मैं अपने लाडले श्री एकलिंग नाथ जी को तो भूल ही रहा हूं लेकिन उनकी कृपा से ही तो मैं आज तक टिका हुआ हूं, उदयपुर शहर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी श्री एकलिंग जी का मंदिर है जो पहाड़ियों के बीच बना हुआ है, भगवान एकलिंग जी मेवाड़ महाराणा के इष्टदेव हैं इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में मेवाड़ शासक के बप्पा रावल ने करवाया था । एकलिंग नाथ मंदिर के पीछे बनी झील के नजारे आपको राजपुति शासन की झलक दिखला जाएंगे मैं उन जगहों में से हूं जिसमें कभी महाराणा प्रताप जैसे शूर वीरों के कदमों की आहट सुनाई पड़ती थी ।मैं उन जगहों में से हूं जहां रक्त तलाई जैसी जगह पाई जाती है आज भी मेरी सीमाओं के अंदर हल्दी घाटी का वो खूनी खेल दिखता है, जो मुगलों की सेना को रोकने के लिए मेवाड़ के राजपूतों ने खेला था ।
उदयपुर शहर से मात्र 44 किलोमीटर पर हल्दी घाटी वहां पर एक म्यूजियम भी बना हुआ है वहां पर पास में स्थित मेरे महान राजा महाराणा प्रताप के प्यारे घोड़े चेतक की समाधि भी है, मेरे हृदय में मैं आज भी उस महान घोड़े की अस्थियों को समेटे बैठा हूं ।
मैं क्या कहूं उस महान प्रतापी महाराणा प्रताप के बारे में जिनके त्याग और मेवाड़ की अस्मिता की लाज रखने के लिए दरदर भटके घास की रोटियां खाई आज उस महान प्रतापी महाराणा प्रताप की वजह से ही मेरे नाम की चर्चाएं होती हैं ।
मुझे अच्छे से जानना चाहते हो तो मेरी सीमाओं में मौजूद गांव की तरफ जरूर नजर घुमा कर देखना जहां पर खानपान एकदम देसी बनता है किसी जमाने में मेरे यहां के निवासी मक्की की रोटी और सरसों का साग और दाल बाटी खाने के आदि हुआ करते थे ।
दाल बाटी तो अब भी दिख जाती है परंतु मक्की की रोटी और सरसों के साग को मैं निहारते रहता हूं मुझ में बसने वाली अधिकांश जनता का खानपान एकदम सात्विक पूर्ण है मांसाहार ना के बराबर होता है मेरे उदयपुर की सीमाओं में बसने वाले गांव की प्रमुख आय खेती से होती है ।
फसलों में गेहूं मक्का सोयाबीन मूंगफली अफीम के पट्टे भी कुछ गांव को दिए जाते हैं सरकार के द्वारा जिससे किसान अपने खेतों में अफीम उगा कर एक निश्चित तय की गई मात्रा की पैदावार करके सरकार को सौंप देते हैं ।
भारत का मैं एकमात्र ऐसा शहर हूं जिसका नाम झीलों की नगरी के नाम से भी पुकारा जाता है क्योंकि मुझ में बहुत सारी झीलों का निर्माण अलग-अलग राजाओं ने करवाया है उसमें प्रमुख है, फतह सागर उदय सागर बड़ी तालाब दूध तलाई रूप सागर छोटी मदार लेख और छोटे छोटे अनेक तालाबों के झुंड मुझ में बसते हैं ।
मुझसे मिलने के लिए आपके पास तीन रास्ते हैं आप चाहे तो ट्रेन के माध्यम से सीधा उदयपुर आ सकते हैं दूसरा रास्ता है वायु मार्ग का और तीसरा आप सड़क मार्ग से मेरे दर्शन करने आ सकते हैं । बारिश के मौसम में आओगे तो मैं आपको काफी लूभावना लगूंगा और गर्मी में आओगे तो आप मुझसे परेशान भी हो सकते हैं ।
मुझे पूरा देखने के लिए आपको तीन दिन का समय आराम से लगने वाला है तो जब भी दिल करे मुझसे मिलने आ जाइए मैं पूरी दुनिया में अपने आकर्षण स्थलों के लिए जाना जाता हूं ।
और यहां के भव्य शाली महल झीलें और प्राकृतिक छटा आपका मन मोह लेंगे ।
मेरी सबसे प्रसिद्ध जगह है सिटी पैलेस जहां को देखने को बहुत कुछ मिलेगा और साथ में रुकने के लिए भी यह जगह काफी अच्छी मानी जाती है ।
मेरे पास आकर आपको खाने पीने और ठहरने को लेकर कोई परेशानी नहीं होने वाली यहां पर आपको फास्ट फूड जंक फूड रेस्टोरेंट और भोजनालय में खाने पीने की एक से बढ़कर एक चीजें मिलने वाली हैं ।
यहां घूमने आने पर आपको सबसे पहले सिटी पैलेस दिखाने वाला हूं उसके बाद आप जगदीश मंद मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन करेंगे साथ में आपको पिछोला झील का काफी सुंदर नजारा भी देखने को मिलने वाला है ।
यहां आपको करणी माता मंदिर के दर्शन भी होंगे और आपको सहेलियों की बाड़ी पार्क के नजारे दिखने वाले है
इसके अलावा मुझ में बहुत कुछ ऐसा देखने लायक है कई जगह हैं जिनके दर्शन भी आपको यहां पर ही होने वाले हैं मुझे अच्छी तरह से जानना चाहते हैं तो आपको यहां गाइड भी मिल जाएंगे ।
बाकी जुलाई महीने में आप यहां आ सकते हैं यह महीना मुझे देखने के लिए सबसे अच्छा रहने वाला है इस महीने में मैं आपको ठंडी-ठंडी वादियों का एहसास दिलाने वाला हूं, मैं उदयपुर आपको आमंत्रित करता हूं और आपके आने का इंतजार कर रहा हूं |
धन्यवाद










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